दो चार रासते मिला, शहर बसा लिया तो क्या
शहर-शहर दरिंदगी, है कोय भी नहीं सगा
हूँ मुस्करा मैं यूं रहा कि उलझने तो आयेंगी
कि मैं था कुछ झुका-झुका, न जाने क्यों उसे लगा
है शायरी दवा मेरी, अकेलापन इलाज है
ज़रा बताओ साथ में है, कौन किसके खुश रहा
जो पांच तत्व से बने, मिलेंगे संग तत्व में
है नाम की दीवार से, बदन-बदन बटा हुआ
है चोट से नयी किसी, न भर सका था ज़ख्म वो
जो आस पर जला रहा जो ख्वाब पर रहा टिका
अगर नज़र कभी मिले तो, दिल पे कुछ खुमार हो
मैं मिल रहा सभी से था, दिलों से प्यार मांगता
मुकाम अपने प्यार के फ़क़त लगा उजाड़ने
बेनाम जो न रह सका, वो रूह तक झुलस गया
~ सूफ़ी बेनाम
शहर-शहर दरिंदगी, है कोय भी नहीं सगा
हूँ मुस्करा मैं यूं रहा कि उलझने तो आयेंगी
कि मैं था कुछ झुका-झुका, न जाने क्यों उसे लगा
है शायरी दवा मेरी, अकेलापन इलाज है
ज़रा बताओ साथ में है, कौन किसके खुश रहा
जो पांच तत्व से बने, मिलेंगे संग तत्व में
है नाम की दीवार से, बदन-बदन बटा हुआ
है चोट से नयी किसी, न भर सका था ज़ख्म वो
जो आस पर जला रहा जो ख्वाब पर रहा टिका
अगर नज़र कभी मिले तो, दिल पे कुछ खुमार हो
मैं मिल रहा सभी से था, दिलों से प्यार मांगता
मुकाम अपने प्यार के फ़क़त लगा उजाड़ने
बेनाम जो न रह सका, वो रूह तक झुलस गया
~ सूफ़ी बेनाम
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